रविवार, 1 मार्च 2015

मत कर सासु बेटो बेटो

सास बहु की मारवाड़ी कविता:

मत कर सासु बेटो बेटों
ओ तो मिनख हमारो है

जद पहनतो बाबा सूट
जद ओ गुड्डू थारो हो

अब ओ पहरे कोट पेंट.  
अब ओ डार्लिंग म्हारो है

जद ओ पीतो बोतल में दूध
जड़ ओ गिगलो थारो हो

अब पीवे गिलास में जूस
अब ओ मिस्टर म्हारो है

जद ओ लिखतो क ख ग
जद ओ नानको थारो हो

अब ओ करे watsapp sms
अब ओ जानू म्हारो है

जद ओ खातो चोकलेट आइस क्रीम
जद ओ टाबर थारो हो

अब ओ खावे पिज़्ज़ा बिस्कुट
अब ओ हब्बी म्हारो है

जद ओ जातो स्कुल कोलेज
जद ओ मुन्नो थारो हो

अब ओ जाए ऑफिस में
अब ऑफिसर म्हारो है

जद ओ मांगतो पोकेट खर्चो
जद ओ लाडलो थारो हो

अब ओ ल्यावे लाखां रूपिया
अब ओ ए टी एम म्हारो है

मत कर सासू लालो लालो
अब ओ छैलो म्हारो है |

ल्यो मजो मारवाड़ी चुटकुलों को

धणी- आज सजधज के कठे जा री से?
लुगाई- आत्महत्या करणे जा री सुं
धणी- तो इत्तो मेकअप क्यूँ करयो है
लुगाई- काल अख़बार म्हें म्हारो फोटू भी तो छपसी

मारवाड़ी की पत्नी, "म्हने लागे म्हारी छोरी को अफेयर चालु है"।
पति: वो क्यूँ?
पत्नी: "पॉकेट मनी" कोनी माँगे आजकल।
पति: हे भगवान, इं को मतलब लड़को मारवाड़ी कोनी है।

एक मारवाड़ी को एक्सीडेंट हो ग्यो.....
डाक्टर बोल्यो-टांकों लगाणो पड़ेगो
मारवाड़ी- कित्तो पीसो लागेगो?
डाक्टर-2000 रिपया लागसी
मारवाड़ी- अरे !!!
भाया ....टाँकों लगाणों है...एंब्रोईडरी
कोणी करवाणी.....

.......मारवाडी ......
छोरो - आई लव यू
छोरी - चूप रे गेलसप्पा, एक लेपड मेलियो नी तो सीधो जोधपुर पुगेला
छोरो - थोडो धीरे मार जे , नागौर मे थोडो काम हैं।

एक मारवाडी भगवान सु
अरज करे
हे मारा छतीस करोड देवी देवता
मारे ज्यादा कइ कोनी छावे बस
आप सब मने एक -एक रुपया
री मदद कर दो महारो जीवन
सफल होजाए

मंगलवार, 24 फ़रवरी 2015

पेलां हा तख्त ताज आज टोपियां घणी

पेलां हा तख्त ताज आज टोपियां घणी ।
थें हो प्रजा ये राज झूंठ कह  दियो  कणी ।
दुष्टां भरोसे मातभोम नी है राखणी ।
देश है थारों रे थें हो देश रा धणी ।।      

शताब्दियां तलक रा बलीदान सूं बण्यो ।
मिनखां रा लोहि मांडणा सूं आंगणो रच्यो । अणगिणतरा  हमला सह्या ने जंग झेलिया । चंगेज अर अंग्रेज जस्या सेंकडों सह्या ।
अबे तो मात भारती ने शान्ति साजणी ।
देश हैं थांरो रे थें हो देश रा धणी ।। 

मां भारती री रक्षा निज हाथ  सूं सरे ।
पाडोसी मुक्ख जोवणो तो पार नी पडे । देशद्रोहि देश मे जो निजर मे चढे ।
सपूत वो कपूत रै जो जूत री जडे ।
दधीचि वाली रीत ने पाछी निभावणी ।
देश है थारों रे थें हो देश रा धणी ।।      

थें टाबरां ने शूरवीरता री सीख दो ।
कायर पणा री ठोड ओज तेज सींच दो ।
भारत मे अभिमन्यु भरत फैर निपज जा । आतंक दुष्ट दैत्य सूं नरनार जूंझ जा ।
भावी पिढी ने देश री रखवाल बणाणी ।
देश हैं थारों रे थें हो देश रा धणी । ।          

मोठ्यार पण रा काम कोइ रोल तो नही ।
थांरी उमर या पायलां रिमझोल तो नही । सिणगार रा गीतडा ने कांइ गावणा ।
हास्य व्यंग रा किस्सा किनै सुणावणा ।
इतिहास रा आखर बणा  या लगन लागणी । देश है थांरो रे थें हो देश रा धणी ।।

गेलसपी स्कॉर्पियो मारी ही है

एक जोधपुरी सिगरेट पी रहा था
तभी एक खुबसूरत लड़की वहा आती है व उससे कहती है :
लड़की : आप कितने सालों से पी रहे हो
मारवाड़ी : 8 सालो से
लड़की : अगर आप इतने पैसे बचाते तो वो सामने स्कॉर्पियो है वो आपकी होती
मारवाड़ी : आप सिगरेट पीती हो
लड़की :नही
मारवाड़ी : तो आपके पास स्कॉर्पियो है
लड़की : नही
मारवाड़ी : तो थु थारो काम कर गेलसपी स्कॉर्पियो मारी ही हैं

मेरा शहर अब बदल चला है….

मेरा जोधपुर अब बदल चला है
**********************
कुछ अजीब सा माहौल हो चला है,
मेरा शहर अब बदल चला है….

ढूंढता हूँ उन परिंदों को, जो बैठते थे कभी घरों के छज्ज़ो पर
शोर शराबे से आशियाना
अब उनका उजड़ चला है,
मेरा जोधपुर अब बदल चला है…..

होती थी सायकलों की सवारी
मंज़िल तो वही है
मुसाफिर अब बाइक्स व कारों में चढ़ चला है
मेरा जोधपुर अब बदल चला है…

मिर्ची बड़ा,समोसा, कचौरी
खाते थे कभी हम
स्कूल कॉलेजो के प्रांगण में,
अब तो बस बेक समोसा, पेस्ट्री और क्रीम रोल का दौर चला है
मेरा जोधपुर अब बदल चला है

शहर के मोहल्ले  मे रुक कर बतियाते थे दोस्त घंटों तक
अब तो बस शादी, पार्टी या
उठावने पर मिलने का ही दौर चला है
मेरा जोधपुर अब बदल चला है….

वो टेलीफोन का काला चोगा उठाकर खैर-ख़बर पूछते थे,
अब तो स्मार्टफोन से फेसबुक, व्हाटसऐप और ट्वीटर का रोग चला है
मेरा जोधपुर अब बदल चला है….

वो साइकिल पर बैठकर, दूर की डबल सवारी,
कभी होती उसकी, कभी हमारी बारी,
अब तो बस फर्राटेदार बाइक का फैशन चला है
मेरा जोधपुर अब बदल चला है….

जाते थे कभी ट्यूशन पढ़ने सर के वहाँ,
बैठ जाते थे क्लास मे कहीँ पर भी पाँव पसार कर ,
अब तो बस कोचिंग क्लासेस का धंधा चल पड़ा है,
मेरा जोधपुर अब बदल चला है…..

खो-खो, सितोलिया, क्रिकेट, गुल्लिडंडा, डिब्बा-डाउन खेलते थे गलियों और मोहल्लों में कभी,
अब तो न वो गलियाँ रही, न मोहल्ले न वो खेल, सिर्फ और सिर्फ कम्प्यूटर गेम्स का दौर चला है,
मेरा जोधपुर अब बदल चला हैं…..

रेडियो में अल-सुबह तक चलते क्लासिकल गाने-बजाने के सिलसिले
अब तो एफएम और डीजे का वायरल चल पड़ा है,
मेरा जोधपुर अब बदल चला है….

गर्ल्स काॅलेज की लड़कियों से बात करना तो दूर नज़रें मिलाना भी मुश्किल था
अब तो बेझिझक हाय ड्यूड,
हाय बेब्स का रिवाज़ चल पड़ा है
मेरा जोधपुर अब बदल चला है….

घर में तीन भाइयों में होती थी एकाध साइकिल पिताजी के पास स्कूटर,
अब तो हर घर में कारों और बाइक्स का काफ़िला चल पड़ा है
मेरा जोधपुर अब बदल चला है….

खाते थे समोसे, कचोरी, जलेबी, गराडू, गरमा-गरम पोहे चौराहो पर,
अब वहाँ भी चाउमिन, नुडल्स,
मन्चूरियन का स्वाद चला हैं
मेरा जोधपुर अब बदल चला है….

कोई बात नहीं;
सब बदले लेकिन मेरे शहर के
खुश्बू में रिश्तों की गर्मजोशी बरकरार रहे
आओ सहेज लें यादों को
वक़्त रेत की तरह सरक रहा है…
मेरा जोधपुर अब बदल चला हैैं…

मेरा जोधपुर अब बदल चला है...

राबड़ी receipy

मारवाङी लगावण में आपका स्वागत है ..
                 *राबङी*

आज हम आपको सिखायेंगे छाछ की राबड़ी---

सामग्री - एक लीटर छाछ
बाजरा कूटा हुआ - 100 ग्राम ,
कोरी हांडी - 1,
नाल्डी/ चाटू /टोकसी- 1,
घोटणी - 1,
लूण आवश्यकता अनुसार..
विधि :---
सर्व प्रथम
कोरी हांडी लीजिये,
हांडी ले कर अपने गाँव में
घर घर डोलिए,
जिस किसी के घर छाछ
बनी हो, 1 लीटर
छाछ मांग कर लाइए,
अब घर आ कर 100
ग्राम बाजरा लेकर
ऊखली में मूसल
की सहायता से मोटी-
मोटी कूटिए..
हांडी को चूल्हे पर
चढ़ा दीजिये व
कूटा हुआ बाजरा छाछ में
डाल दीजिये..
धीमा धीमा बास्ते जगाते
रहिये और घोटणी से
कूटा बाजरा मिश्रित छाछ
को हिलाते रहिये..
लूण अपने स्वादानुसार
साथ में ही डाल
सकते हैं, ध्यान रहे बास्ते जोरगी मत जगाइए इससे राबड़ी के हांडी में लागने
की गुन्जाईस रहती है...
जब छाछ उफान लेने लग
जाए तो 2-3
उफान दिराकर
हांडी को उतार कर
अराही पर रख दीजिये.
नाल्डी की सहायता से
गर्मागर्म
राबड़ी अपने
मेहमानों को घाल दीजिये
और आप भी थाली ले कर
राबड़ी सबड़किये .....
हो सके तो फटाफट
राबड़ी को सलटा दीजिये..
बच जावे तो सुबह सुबह कलेवे में
खा लिजिये !
नोट : बच्चो को गर्म
हांडी से दूर रखिये
उन्हें प्यार से समझा कर
दूर कीजिये,
फिर भी ना माने तो जट पकड़
कर २-३- लाफे में धर दीजिये..

हमारा उद्देश्य :
राबड़ी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर
पहचान दिलवाना है
सो इसे शेयर जरूर
करें.

सोमवार, 23 फ़रवरी 2015

रंग बदळ किरकांटया होग्या

रंग बदळ किरकांटया होग्या,

नीत बदल मन मेला होग्या
,
मिनखीचारो मरतो दीखे, पईसां लारे गेला होग्या।

घर सुं भाग गुरुजी बणग्या, चोर उचक्का चेला होग्या,

चंदो खार कार में घुमे, भगत मोकळा भेळा होग्या।

कम्प्यूटर को आयो जमानो, पढ़ लिख ढ़ोलीघोड़ा होग्या,

पढ़ी-लिखी लुगायां ल्याया काम करण रा फोड़ा होग्या।

जवानी में बूढ़ा होग्या सांस फूलगी घायल होग्या,

घर-घर गाड़ी-घोड़ा होग्या, जेब-जेब मोबाईल होग्या।

छोरयां तो हूंती आई पण आज पराया छोरा होग्या,

राल्यां तो उघड़बा लागी, न्यारा-न्यारा डोरा होग्या।

इतिहासां में गयो घूंघटो, पोडर पुतिया मूंडा होग्या,

झरोखां री जाल्यां टूटी, म्हेल पुराणां टूंढ़ा होग्या।

भारी-भारी बस्ता होग्या, टाबर टींगर हळका होग्या,

मोठ बाजरी ने कुछ पूछे, पतळा-पतळा फलका होग्या।

रूंख भाडकर ठूंठ लेयग्या जंगळ सब मैदान होयग्या,

नाडी नदियां री छाती पर बंगला आलीशान होयग्या।

मायड़भाषा ने भूल गया, अंगरेजी का दास होयग्या,

टांग कका की आवे कोनी ऐमे बी.ए. पास होयग्या।

सत संगत व्यापार होयग्यो, बिकाऊ भगवान होयग्या,

भगवा भेष ब्याज रो धंधो, धरम बेच धनवान होयग्या।

ओल्ड बोल्ड मां बाप होयग्या, सासु सुसरा चौखा होग्या,

सेवा रा सपनां देख्या पण आंख खुली तो धोखा होग्या।

बिना मूँछ रा मरद होयग्या, लुगायां रा राज होयग्या,

दूध बेचकर दारू ल्यावे, बरबादी रा साज होयग्या।

तीजे दिन तलाक होयग्यों, लाडो लाडी न्यारा होग्या,

कांकण डोरां खुलियां पेली परण्या बींद कंवारा होग्या।

बिना रूत रा बेंगण होग्या, सियाळा में आम्बा होग्या,

इंजेक्शन सूं गोळ टमाटर फूल-फूल कर लाम्बा होग्या।

कविता म्हारी फिरे कंवारी तुकबंदी का फेरा होग्या,

दिवलो करे उजास जगत में खुद रे तळे अंधेरा होग्या।

मन मरजी रा भाव होयग्या, पंसेरी रा पाव होयग्या,

महंगाई री मार तिवाड़ी, जीणां दोरा आज होयग्या।

जय राजस्थान

Oxford इंग्लिश to Rajasthani भाषा ‬ dictionary


Let him go आगों बलण दे
Fast - बेगो
Smooth - चिकणी
Ladies - लुगायाँ
Yes - होय
Slapping - रेपाटो
Punching- घुंसो
Wife - घरआळी
Come here-अठी आ
Same to same-असो को असो
Clothes-गाबा
Sunlight -तावड़ो
morning-दिनऊंगा
Very-घणो
Basket-थैलो
Bed- माचो
Key-कुंची
Pot-लोटों
Pate-आङो
Mother-बाई
Mouth-मुंडो
Face-थोबडो़
Neck-गुद्दी
Knee-गोडा
Animal-ढांढा
Cat-मिन्की
Ox-बलद
Rat-उन्दरो
Monkey-बान्दरौ
Mango-आम्बोo
Sugarcane-सांठो
Confused - डापाचुक
Complaint-औलबो
Chain-सांळल
Children-टाबरीया

रविवार, 22 फ़रवरी 2015

आप कैसे पता करेंगें कि आप राजस्थान के किस कोने में है।

1) दो आदमी लड़ रहे हैं, एक आदमी आता है,उन्हे देखता है और चला जाताहै...
ये जयपुर है।
2) दो आदमी लड़ रहे हैं, एक आदमी आता है, उन्हें समझाने की कोशिश करता है, फलस्वरुप दोनो लड़ना छोड़ कर समझाने वाले को मारने लग जाते हैं...
ये झुंझुनू है।
3) दो आदमी लड़ रहे हैं, एक आदमी अपने घर से आवाज़ देता है, "मेरे घर के आगे मत लड़ो, कहीं और जाओ"....
ये सीकर है।
4) दो आदमी लड़ रहे हैं, पूरी भीड़ देखने के लिये इकट्ठी हो जाये, और एक आदमी चाय की दुकान लगा दे....
तो ये चुरू है।
5) दो आदमी लड़ रहे हैं, दोनो मोबाईल से कॉल कर दोस्तो को बुलाते हैं, थोड़ी देर में 50आदमी लड़ रहे हैं. ..
ये कोटा है।
6) दो आदमी लड़ रहे हैं, एक आदमी ढेर सारी बीयर ले आता है, तीनो एक साथ बीयर पीते हुए एक-दूसरे को गाली देते हैं..
ये गंगानगर है।
7) दो आदमी लड़ रहे हैं, दो आदमी और आते हैं, वो आपस में बहस करने लगते हैं कि कौन सही है कौन गलत, देखते देखते भीड़ जमा हो जाती है, पूरी भीड़ बहस करती है, लड़ने वाले दोनो खिसक लेते हैं...
ये बीकानेर है।
8) दो आदमी लड़ रहे है, एक आदमी आता है, गन निकालता है और ढिचकांव. और सब शांत हो जाता है...
यानि कि आप धौलपुर पहुँच गए हैं।
9)दो आदमी लड़ते हे भीड़ इक्कठी हो जाती हे ।
थोड़ी देर में मामला शांत ।
दोनों एक दूसरे को  प्यार से देखते हे और एक बोलता हे रजनीगंधा तुलसी हे कई थारे खने ।
और मारो प्यारो जोधाणो हे

शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2015

बन्ना की सगाई

एक गांव मे राजपूता क बन्ना की सगाई कर र ब्याव माण्ड दियो।
सामला सगा न शर्त रखी क बारात म सारा राजपूत ही होणा चाहिए।दुजी जात को कोई भी नहीं होणो चाहिए।
गांव म एक घर छोड़ र सब गुर्जर हा।
छोरा को बाप बोल्यो सब न राजपूत बण र बारात म चालण ह
सब साफा बांदो और अपने नाम के आगे सिंह लगा ल्यो।
सगो ए बाता और पूछ सके ह सब रट ल्यो----
कस्या राजपूत हो तो कह दिज्यो राठौर।
राठौर म कुण सा हो तो कह दिज्यो मेड़तिया ।
सब रट रटा र तैयार होगा।
बारात चढ र आगला की ढोढी पर चलेगी।
शाम को सब बाजोट पर मनुहार करने बैठ्या। गुर्जर तो गुर्जर ही हा सब बोतला लेर न्यारी न्यारी ढाणियाँ बणार पीबा लाग ग्या।
सामला डाकरा न शक हुयो क दाल पुरी काली लागह।
बे एक गुर्जर क कनै जाएर पूछया
आपको नाम काई हुसी सा?
फता सिंह।
कुण सा राजपूत हो सा?
राठौर।
राठौर म कुण सा?
मेड़तिया ।
थाका बाप को काई नाम सा?
पदमलो गुर्जर।

गुरुवार, 19 फ़रवरी 2015

मै फंस ग्यो खड़ा खाणा में

आजकल एक रिती रिवाज से शादियों मै खड़े होकर खाना खाने का सिस्टम होता है
जो कि सांइस से और हमारे समाज के नज़रिये से बहुत ग़लत है :-इस बात को घ्यान मै रखते हुये एक मारवाड़ी कविता लिखी है :--

"मै फंस ग्यो खड़ा खाणा मे
मने बात समज में नी आवे
गाजर टमाटर गोभी काचा खावे
हाथ मे प्लेट लेने लैण लगावे...
काऊन्टर सु काऊन्टर पर जावे
ज्यूँ मंगतो फिरे दाणा ने
मै फस ग्यो खड़ा खाणा मे ।

बाजोट पोतीया जिमण थाल
ईण सगलो रो पड ग्यो काल
ऊबा ऊबा ही खाई रिया माल
देश री गदेडी और पूरब री चाल
पेली जेड़ो मिठास कटे खाणा मे
मै फस ग्यो खड़ा खाणा मे ।

एक हाथ मे प्लेट लिरावो
साग मिठाई भैलाई खावौ
भीड मे लोगो रा धक्का खावो
घूमता फिरता भोजन पावो
ज्यूँ बलद फिरे घाणा मे
मै फस ग्यो खड़ा खाणा मे ।

सगला व्यंजन लावणा दोरा
ले भी आवो तो संभालना दोरा
भीड भाड में बचावणा भी दोरा
ढुल जावेला रुखालना दोरा
मै डाफाचुक हो गयो जोधाणा मे
मै फंस ग्यो खड़ा खाणा मे ।

आर्केस्टरा वाला नाचे गावे
बिन्द बिन्दणी हँसता जावे
घर वाला लिफावा लिरावे
सगलाँ रो ध्यान है गाणा मे
मै फस ग्यो खड़ा खाणा मे

बुढा बढेरा किकर खावे
सामे बिन्द बिन्दनी सगला रे सामे हाथ मिलावे
विकलांगो ने कुण जिमावे
टाबर टींगर भूखा ही जावे
कोई बेठा ने कोई ऊबा ही खावे
ईण लोगो ने कुण समझावे
देखा देखी होड लगावे
सब लागा है आणा जाणा मे
मै फस ग्यो खड़ा खाणा मे ।

रविवार, 15 फ़रवरी 2015

वैलेंटाइन डे री पाती

म्हारी व्हाली धापूड़ी
थाने ठा कोनी आज रो दिन आपा रे वास्ते खास है ।
आज वेलेंटाइट रो दिन है ।
आज खेतर जावते समय मने तलाव री पाल माथे मिलजे ।
थारा वास्ते मैं रूयडा रो फूल लायो हु ।
नाश्ता रे वास्ते खिसिया ने मोली छाछ भी ले ने आवुला ।
थारा वास्ते मैं आंगलिया सु चालण वालो मोबाइल लायो हु ।
आज जल्दी नावणिया धोवणिया कर ने जल्दी आवजे ।
गुलाबी फूल वाली घाघरी ने केसरी चुनड़ी ओढ़ ने आवजे ।
पगा में तोडा
कमर में कनदोरो
हाथो में बंगड़िया
आँखों में काजल
कानो में जुमका
नाक में नथ
करम में टीको
बालो में बकल
जरूर लगावजे।
आवति आखातीज रो आपा ब्याव जरूर करोला ।
गांव वाला ने ध्यान कोनी पडनो जोइये ।
थारी सखी पेपलि ने आज संगाथे मतिना लावजे ।
आज मारे पण खेतर में रायडा में पाणी देणो हतो पण ओ दाड़ो रोजीना कोनी आवे तो छूटो पाणी अरंडा में ठोक ने थारी वाट जोवुला ।
आज हड़ूमान जी रो दिन भी है तो थाने मिलण रे बाद गोलासन भी जावणो है ।
मैं मानता राखी हती के जो तू आज मने मिलण रे वास्ते आवेला तो मैं आपरा दर्शन करण जरूर आवुला ।
जमोने आपरा ब्याव रे बाद आपा चारो तीर्थ करने जावोला ।
गोलासन
मोंगलोर
होथीगांव
ढबावली
ओ चार मोटा तीर्थ है ।
मारी मोटी इच्छा है थने ओ तीर्थ करावण री ।
हवे दूजी वात मिलण रे बाद करसा ।
थारो प्यारो
गोकलियो ।

बुधवार, 4 फ़रवरी 2015

फागण आई रे

www.saleunlimited.blogspot.in

१.सज फागण आयो हे सखी,
हळकी ठंड हमें!
मद पद हद रे मांय,भोगी कठै भमें!!
२.कस तंग करियेह,पुठी धर पलोण,कामण झूरके कंत ने
तरबंन्ध मोहर तोण!!
३.बाट जोवूं वाल्लाह,नैण मारग निहार!
मन दिपे दीपावळी,तन (ज्यों) तीज-त्यौहार.
४.पीव मिळ्यो पौ-बारेह, नैणों होत निरोंत!
मन मुग्ध मुस्काय कर,
तन मन एक ही भोंत!!
       फाल्गुनी बयार की दस्तक सन्निकट है, कामिनी की काम-कनखियों से  विरह-दामिनी की दमक. मिलनोत्कंठा में उष्ट्रारुढ होकर पीव-प्रस्थान करते है,प्रिया-प्रदेश को...इत्यादि-इत्यादि.
       

गुरुवार, 29 जनवरी 2015

लुगायां रा चुटकुला

वाइफ के गाल पर
गुलाब का फूल मारने पर

इंग्लिश वाइफ :
"यु आर सो नॉटी .....

पंजाबी वाइफ :
" तुसी वड़े रोमेंटिक
लगते हो .....

जोधपुर री वाइफ :

कई करो इत्ता मोटा हुगया पण लखन टाबरा वालाईज है ...हमार आंख और फोडता मारी .....

एक लुगाई क बुखार होगी । बा डॉक्टर कन गई। डॉक्टर बोल्यो- सुई लगाणी पड़सी । यदि बाजू पर सुई
लगवासि तो 2 घण्टा म ठीक होवेगी और ढुंगा पर
लगवावगी तो दस मिनट म ठीक हो जायगी। लुगाई बोली- बाजू पर ही लगा दे।
डॉक्टर बोल्यो एक बार और सोच ल। लुगाई फिर सोच र और डॉक्टर की नियत देख र
बोली-'सुई तो बाजू म ही लगा दे, ढुंगा मैं
इयां ही दिखा देस्यु।।।।

मेरी तो हँसी ही नहीं रुक रही यार...
बिल गेट्स ने अपने माइक्रोसॉफ्ट के कनाडा के बिज़नेस के लिए
चेयरमैन की जॉब लिए एन इंटरव्यू रखा... इंटरव्यू के लिए 5000
लोग एक बड़े होल में इकट्ठा हुए...
इन सब में एक कैंडिडेट राजस्थान से भी थे... नाम था 'गमलाराम’
बिल गेट्स: इंटरव्यू में आने के लिए आप सबका शुक्रिया... जो लोग
java नहीं जानते हैं, वो जा सकते हैं
(ये सुन कर 2000 लोग रूम छोड़ कर चले गए)
‘गमलाराम’ ने मन में सोचा, “मुझे कौन-सा ससुरी java
आती है... लेकिन रुकने में ही क्या नुकसान है... देखते हैं आगे-आगे
क्या होता है”
बिल गेट्स: जिन लोगों को 100 लोगों से बड़ी टीम को मैनेज करने
का तजुर्बा नहीं हैं, वो जा सकते हैं...
(ये सुन कर 2000 लोग रूम छोड़ कर चले गए)
‘गमलाराम' ने मन में सोचा, “मैंने तो ससुरी भैंस भी एक साथ 3 से
ज्यादा नहीं चराई... ये 100 लोगों की टीम मैनेज करने की बात कर
रहा है... लेकिन रुकने में ही क्या नुकसान है... देखते हैं आगे-आगे
क्या होता है”
बिल गेट्स: जिन लोगों के पास मैनेजमेंट का डिप्लोमा नहीं है,
वो जा सकते हैं...
(ये सुन कर 500 लोग रूम छोड़ कर चले गए)
‘गमलाराम’ ने मन में सोचा, “मैंने तो 8वी क्लास में ही स्कूल छोड़
दिया था... ये ससुरा डिप्लोमा की बात कर रहा है... ... लेकिन रुकने
में ही क्या नुकसान है... देखते हैं आगे-आगे क्या होता है...”
सबसे आखिर में बिल गेट्स ने कहा: जो लोग जापानी भाषा में बात
नहीं कर सकते, वो जा सकते हैं...
(ये सुन कर 498 लोग रूम छोड़ कर चले गए)
‘गमलाराम’ ने मन में सोचा, “मुझे तो जापानी भाषा का एक शब्द
भी नहीं आता... लेकिन रुकने में ही क्या नुकसान है... देखते हैं आगे-
आगे क्या होता है...”
अब ‘गमलाराम’ ने पाया की वो खुद और सिर्फ़ एक ही और
candidate इंटरव्यू के लिए बचे हैं... बाकी सब जा चुके थे...
बिल गेट्स उन दोनों के पास आया और उनसे कहा, “जैसा की आप
देख सकते हैं कि अब सिर्फ़ आप दोनों ही हैं candidate बचे हैं
जो जापानी भाषा जानते हैं... में चाहूँगा कि आप दोनों आपस में
जापानी में बात करके दिखाएँ”
‘गमलाराम’ धीरे से दूसरे candidate से बोला, “कटे रा हो.??”
दूसरे ने जवाब दिया, “गंगानगर ... ...और थे??

बुधवार, 28 जनवरी 2015

मारवाड़ी गुदगुदी

देशी लव ( मारवाडी )

फिदा  हूँ  थारी  चोटी  उपर.
जिंवतो  हूँ  बाजरा  री  रोटी उपर.
जे  तु  ना  बोले  कि  मैं  थारी  हूँ.
तो  बैठयो  रेसु  थारी  चौकी  उपर.

थारो लाडलो
भोमलो
__________

एक मारवाड़ी छोरे की
दिल्ली की एक पतली सी
लडकी से फ्रेँडशिप हो गई !
उसने लड़की को मैसेज भेजा:
.
.
.
.
.
.
.
मुंडो भी थारो  ख़ास कोनी है ;
हड्डियों माते थारे माँस कोनी है;
प्रपोज थने मैं केण वास्ते करूं बावली;
थारी तो  वैलनटाई डे तक जीवणा री आस
कोनी है.. ।

राजस्थान री धोरां धरती रै जानवरां में इतरो नेह

राजस्थानी बातां

     पुराणां समै री बात है , राजस्थान री धोरा धरती में ऊनाळै रै दिनां में  दो सहेलियां कांकङ (वनक्षेत्र) में लकङियां लावण ने गई ।
  रस्ते में व्है देखियौ के दो हीरण मरियोङा पङिया हा अर उणां रै बीच में एक खाडा में थोङो सो"क
पाणी भरीयौ हौ । जद एक सहैली कह्यौ ----

खङ्यौ नी दीखै पारधी ,
लग्यौ नी दीखै बाण ।
म्है थने पूछूं ऐ सखी ,
किण विध तजिया प्राण ।।

( है सखी , अटे कोई शिकारी नजर नी आय रियौ है अर इणां रै बाण भी नी लागोङो है तो ऐ हीरण किकर मरिया ? )

     तो दुजोङी सहैली उण ने उत्तर दियौ --

जळ थोङो नेह घणो ,
लग्या प्रीत रा बाण ।
तूं -पी  तूं-पी  कैवतां ,
दोनूं तजिया प्राण ।।

( इण सुनसान रोही में  दोनूं हीरण तिरस्या हा , पाणी इतरौ ही हौ के एक हीरण  री तिरस(प्यास ) मिट सके , पण दोयां में सनेह  इतरो हौ के उणां मांय सूं कोई  एक पीवणीं नी चावतो । इण खातर दोइ एक -दूजा री मनवार करता करता प्राण तज दिया ।)

    राजस्थान री धोरां धरती रै जानवरां  में इतरो नेह अर हेत  है ,  तो अटा रै मिनखां रै नेह  रो उनमान नी लगां सकां ।

म्हारो प्यारो राजस्थान

विदाई के समय ओबामा-मोदी संवाद......

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विदाई के समय ओबामा-मोदी संवाद...........
ओबामा :- मोदी भासा, तो मैं निकलूँ अबे I
मोदी :- यार इत्ता दिनों ऊँ तो तू आयो है, रुके कनी दो चार दिन भेर I
ओबामा :- नहीं भासा, म्हारे कॉम री भेजामारी घणी है,.....अबार एक शेख साब है सऊदी में व्योरा भाभोसा चालता रेया, व्योरी तापड़ माते जावणो पड़ी I
मोदी :- थारे भी भगत घणा पाळियोड़ा है यार,......ठीक है जरे, अबे रो मती, ध्योन राखजे भई,...रस्ते रे वास्ते थारे ने भोजाई रे वास्ते टिप्पन पैक करायो हूँ, आलू रो हाग, अचार ने पुड़ियों है,..चेप लीजे,.....एक किलो चुतरिये रा गुलाब जोम्बू भी बोंधिया हूँ I
ओबामा :- ठीक है भा, चालूँ अबे,.....जय शंकर !!
मोदी :- हावल जाइजे, ने घरे पूग ने फ़ोन करजे I
ओबामा :- होय, मिस कॉल मारूं

सोमवार, 26 जनवरी 2015

Rajashthan का बेटा हूँ

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ना छुरी रखता हुं
ना पिस्तौल  रखता हुं
Rajashthan का बेटा हुं
दिल में जिगर रखता हुं
इरादों मे तेज़ धार रखता हुं
इस लिए हमेशा
अकेला ही निकलता हु
----------------------ँ
बंगले . गाडी तो " marwadi" के घर घर
की कहानी हैं.......
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तभी तो सारी दुनिया " marwadi "
की दिवानी हैं.
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अरे मिट गये " marwadi " को मिटाने वाले क्योकि आग मे
तपती " rajasthan की जवानी है
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ये आवाज नही शेर कि दहाड़ है….. हम खडे हो जाये
तो पहाड़
है….
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हम इतिहास के वो सुनहरे पन्ने है…..
जो भगवान ने ही चुने है….दिलदार औऱ दमदार
है" " marwadi"
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रण भुमि मे तेज तलवार है"" marwadi "
पता नही कितनो की जान है " marwadi"
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सच्चे प्यार पर कुरबान है
"" " marwadi"""
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यारी करे तो यारो के यार है
"" " " marwadi"
औऱ दुशमन के लिये तुफान है
"" " marwadi " ""
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तभी तो दुनिया कहती है बाप रे खतरनाक है
"" " marwadi """"
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शेरो के पुत्र शेर ही ज़ाने जाते हैं, लाखो के
बीच. "marwadi"
पहचाने जाते हैं।।
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मौत देख कर किसी क़े पिछे छुपते नही ,
हम" " marwadi ,मरने से क़भी डरते नही। हम
अपने आप पर ग़र्व
क़रते हैं, दुशमनों को काटने का जीगरा हम रखते हैं ,
.
.
कोई ना दे हमें खुश रहने की दुआ,तो भी कोई
बात नहीं...
वैसे भी हम खुशियाँ रखते नहीं,
बाँट दिया करते हैं।

Rajasthan की शान के लीऐ
10 " marwadi "को शेयर करॊ
और उनसे कहे आगे 10 लोगो को शेयर करे  bolo jay rajasthan 

रविवार, 25 जनवरी 2015

Hindi me- Basanti panchami- its significance

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बसंत पंचमी
वसंत पंचमी या श्रीपंचमी एक हिन्दू त्योहार है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है। इस दिन स्त्री-पुरुष  पीले वस्त्र धारण करते  हैं।
प्राचीन भारत और नेपाल में पूरे साल को जिन छह मौसमों में बाँटा जाता था उनमें वसंत लोगों का सबसे मनचाहा मौसम था। जब फूलों पर बहार आ जाती, खेतों मे सरसों का सोना चमकने लगता, जौ और गेहूँ की बालियाँ खिलने लगतीं, आमों के पेड़ों पर बौर आ जाता और हर तरफ़ रंग-बिरंगी तितलियाँ मँडराने लगतीं। वसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के पाँचवे दिन एक बड़ा जश्न मनाया जाता था जिसमें विष्णु और कामदेव की पूजा होती, यह वसंत पंचमी का त्यौहार कहलाता था। शास्त्रों में बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी से उल्लेखित किया गया है, तो पुराणों-शास्त्रों तथा अनेक काव्यग्रंथों में भी अलग-अलग ढंग से इसका चित्रण मिलता है।
सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने जीवों, खासतौर पर मनुष्य योनि की रचना की। अपनी सर्जना से वे संतुष्ट नहीं थे। उन्हें लगता था कि कुछ कमी रह गई है जिसके कारण चारों ओर मौन छाया रहता है। विष्णु से अनुमति लेकर ब्रह्मा ने अपने कमण्डल से जल छिड़का, पृथ्वी पर जलकण बिखरते ही उसमें कंपन होने लगा। इसके बाद वृक्षों के बीच से एक अद्भुत शक्ति का प्राकट्य हुआ। यह प्राकट्य एक चतुर्भुजी सुंदर स्त्री का था जिसके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। ब्रह्मा ने देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया। जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, संसार के समस्त जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई। जलधारा में कोलाहल व्याप्त हो गया। पवन चलने से सरसराहट होने लगी। तब ब्रह्मा ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा। सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। ये विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ये संगीत की देवी भी हैं। बसन्त पंचमी के दिन को इनके जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं। ऋग्वेद में भगवती सरस्वती का वर्णन करते हुए कहा गया है-
"प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु"।
अर्थात ये परम चेतना हैं। सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं। हममें जो आचार और मेधा है उसका आधार भगवती सरस्वती ही हैं। इनकी समृद्धि और स्वरूप का वैभव अद्भुत है। पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण ने सरस्वती से ख़ुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पंचमी के दिन तुम्हारी भी आराधना की जाएगी और यूँ भारत के कई हिस्सों में वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की भी पूजा होने लगी जो कि आज तक जारी है।
#पौराणिक महत्व
इसके साथ ही यह पर्व हमें अतीत की अनेक प्रेरक घटनाओं की भी याद दिलाता है। सर्वप्रथम तो यह हमें त्रेता युग से जोड़ती है। रावण द्वारा सीता के हरण के बाद श्रीराम उसकी खोज में दक्षिण की ओर बढ़े। इसमें जिन स्थानों पर वे गये, उनमें दंडकारण्य भी था। यहीं शबरी नामक भीलनी रहती थी। जब राम उसकी कुटिया में पधारे, तो वह सुध-बुध खो बैठी और चख-चखकर मीठे बेर राम जी को खिलाने लगी। प्रेम में पगे झूठे बेरों वाली इस घटना को रामकथा के सभी गायकों ने अपने-अपने ढंग से प्रस्तुत किया। दंडकारण्य का वह क्षेत्र इन दिनों गुजरात और मध्य प्रदेश में फैला है। गुजरात के डांग जिले में वह स्थान है जहां शबरी मां का आश्रम था। वसंत पंचमी के दिन ही रामचंद्र जी वहां आये थे। उस क्षेत्र के वनवासी आज भी एक शिला को पूजते हैं, जिसके बारे में उनकी श्रध्दा है कि श्रीराम आकर यहीं बैठे थे। वहां शबरी माता का मंदिर भी है।
#बसन्त पंचमी
ऐतिहासिक महत्व
वसंत पंचमी का दिन हमें पृथ्वीराज चौहान की भी याद दिलाता है। उन्होंने विदेशी हमलावर मोहम्मद गौरी को 16 बार पराजित किया और उदारता दिखाते हुए हर बार जीवित छोड़ दिया, पर जब सत्रहवीं बार वे पराजित हुए, तो मोहम्मद गौरी ने उन्हें नहीं छोड़ा। वह उन्हें अपने साथ अफगानिस्तान ले गया और उनकी आंखें फोड़ दीं।
इसके बाद की घटना तो जगप्रसिद्ध ही है। गौरी ने मृत्युदंड देने से पूर्व उनके शब्दभेदी बाण का कमाल देखना चाहा। पृथ्वीराज के साथी कवि चंदबरदाई के परामर्श पर गौरी ने ऊंचे स्थान पर बैठकर तवे पर चोट मारकर संकेत किया। तभी चंदबरदाई ने पृथ्वीराज को संदेश दिया।
"चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण।
ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान" ॥
पृथ्वीराज चौहान ने इस बार भूल नहीं की। उन्होंने तवे पर हुई चोट और चंदबरदाई के संकेत से अनुमान लगाकर जो बाण मारा, वह गौरी के सीने में जा धंसा। इसके बाद चंदबरदाई और पृथ्वीराज ने भी एक दूसरे के पेट में छुरा भौंककर आत्मबलिदान दे दिया। (1192 ई) यह घटना भी वसंत पंचमी वाले दिन ही हुई थी।
#बसंत पंचमी
वीर हकीकत राय का बलिदान
वसंत पंचमी का लाहौर निवासी वीर हकीकत से भी गहरा संबंध है। एक दिन जब मुल्ला जी किसी काम से विद्यालय छोड़कर चले गये, तो सब बच्चे खेलने लगे, पर वह पढ़ता रहा। जब अन्य बच्चों ने उसे छेड़ा, तो दुर्गा मां की सौगंध दी। मुस्लिम बालकों ने दुर्गा मां की हंसी उड़ाई। हकीकत ने कहा कि यदि में तुम्हारी बीबी फातिमा के बारे में कुछ कहूं, तो तुम्हें कैसा लगेगा?
बस फिर क्या था, मुल्ला जी के आते ही उन शरारती छात्रों ने शिकायत कर दी कि इसने बीबी फातिमा को गाली दी है। फिर तो बात बढ़ते हुए काजी तक जा पहुंची। मुस्लिम शासन में वही निर्णय हुआ, जिसकी अपेक्षा थी। आदेश हो गया कि या तो हकीकत मुसलमान बन जाये, अन्यथा उसे मृत्युदंड दिया जायेगा। हकीकत ने यह स्वीकार नहीं किया। परिणामत: उसे तलवार के घाट उतारने का फरमान जारी हो गया।
कहते हैं उसके भोले मुख को देखकर जल्लाद के हाथ से तलवार गिर गयी। हकीकत ने तलवार उसके हाथ में दी और कहा कि जब मैं बच्चा होकर अपने धर्म का पालन कर रहा हूं, तो तुम बड़े होकर अपने धर्म से क्यों विमुख हो रहे हो? इस पर जल्लाद ने दिल मजबूत कर तलवार चला दी, पर उस वीर का शीश धरती पर नहीं गिरा। वह आकाशमार्ग से सीधा स्वर्ग चला गया। यह घटना वसंत पंचमी (23.2.1734) को ही हुई थी। पाकिस्तान यद्यपि मुस्लिम देश है, पर हकीकत के आकाशगामी शीश की याद में वहां वसंत पंचमी पर पतंगें उड़ाई जाती है। हकीकत लाहौर का निवासी था। अत: पतंगबाजी का सर्वाधिक जोर लाहौर में रहता है।