शनिवार, 9 मई 2015

परताप रो परताप

परताप रो परताप

प्रण पालण परताप पण ,आडवल अडि़यौह !
कुल कीरत राखण कठण,ले भालो लड़ियौह !!

अबखी बेळा आवियौ ,आडौ 'ज आडावळ !
पातळ पत पण राखियौ ,हियौ 'ज हिमाचळ !!

कायर किन्नर किम करै ,हिन्दुवा थारी हौड़ !
मळेछ  तो देख्या मरै, मूछां तणी मरोड़ !!

जस चावौ जबरांण जद ,आभै सूं अड़ियौह !
मन भरियौ महारांण मद , भट्ट विकट्ट भिड़ियौह !!

चेतक थारी चाकरी ,अब पूगी असमाण !
सांमखोरी साँतरी ,मन मँडी महाराण !!

माटी इण मेवाड़ री ,खास गुणां री खांण !
निबळा नर निपजै नहीं ऐकलिंग री आंण !!
( रतनसिहं चाँपावत रणसीगाँव )

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें