शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2015

बन्ना की सगाई

एक गांव मे राजपूता क बन्ना की सगाई कर र ब्याव माण्ड दियो।
सामला सगा न शर्त रखी क बारात म सारा राजपूत ही होणा चाहिए।दुजी जात को कोई भी नहीं होणो चाहिए।
गांव म एक घर छोड़ र सब गुर्जर हा।
छोरा को बाप बोल्यो सब न राजपूत बण र बारात म चालण ह
सब साफा बांदो और अपने नाम के आगे सिंह लगा ल्यो।
सगो ए बाता और पूछ सके ह सब रट ल्यो----
कस्या राजपूत हो तो कह दिज्यो राठौर।
राठौर म कुण सा हो तो कह दिज्यो मेड़तिया ।
सब रट रटा र तैयार होगा।
बारात चढ र आगला की ढोढी पर चलेगी।
शाम को सब बाजोट पर मनुहार करने बैठ्या। गुर्जर तो गुर्जर ही हा सब बोतला लेर न्यारी न्यारी ढाणियाँ बणार पीबा लाग ग्या।
सामला डाकरा न शक हुयो क दाल पुरी काली लागह।
बे एक गुर्जर क कनै जाएर पूछया
आपको नाम काई हुसी सा?
फता सिंह।
कुण सा राजपूत हो सा?
राठौर।
राठौर म कुण सा?
मेड़तिया ।
थाका बाप को काई नाम सा?
पदमलो गुर्जर।

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