शुक्रवार, 9 जनवरी 2015

नवै बरस में

नवै बरस में थांरै आंगण, हँसता रैवै बाळ-गोपाळ |
नवै बरस में थांरै आंगण, आवै खुशियां भरिया थाळ||
नवै बरस में पिरथी सरसै, नदियाँ मांहीं खळकै खाळ|
नवै बरस में मेघ घटावां, काळायण बरसै नखराळ ||
नवै बरस में सुरंगा सपना, टाबर आंख्यां आखरमाळ |
नवै बरस में थांरै हिंवड़ै, रंग चाव रा भरै उछाळ ||
नवै बरस में रचै मांडणां, जोबन नाचै नौ नौ ताळ |
नवै बरस में थांरै मुखड़ै, खुशियाँ, रागां, गीत’र गाळ ||
नवै बरस में हरियल रैवै, खींप,फोगड़ा,लौंणा जाळ |
नवै बरस में ओरण उमगै, पळका पाड़ै सरवर पाळ ||
नवै बरस में मुळकै मुरधर, रचै रोहिड़ा खेजड़ डाळ |
नवै बरस में पिछम धरा री, करनला करै रखवाळ ||

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