सोमवार, 5 जनवरी 2015

मजा को के बैरों भायलो

मजों कुणसी बात पर आव ||
मजा को के बैरों भायलों कि कुणसी बात
पर आज्याव...
रेल मैं सोण का,
पाँच रूपिया खोण का,
दारूं पीकर रोण का,
मजा ही न्यारा है...
बालू कै टीबा पर भागण का,
ब्यावली रात मैं जागण का,
कातिक मैं जाडों लागण का,
मजा ही न्यारा है...!
भरी दुपहरी मैं ज्यै
काली घटा छाज्याव...
मजा को के बेरों भायलों कि कुणसी बात
पर आज्याव...।।
मंत्री कै गैल यारी का,
कंगले को मोटर-लारी का,
और आधी छुट्टी सारी का,
मजा ही न्यारा है...!
खेत मैं रोटी खाण का,
जोहड जाकर न्हाणे का,
नाना बालक नै खिलाण का,
मजा ही न्यारा है...!
यात्रा हो दूर की और दूर
की सवारी पाज्याव...
मजा को के बेरो भायलों कि कुणसी बात
पर आज्याव...।।
गर्मिया मैं आम का,
फागण की शाम का,
मीठी-मीठी जुकाम का, मजा कै बताऊँ
थान...!
जाडे मैं रजाई का,
गांव कै जमाई का,
बूढे की सगाई का, मजा के बताऊँ थान...!
झगडे कै माय ज्यै थानेदार टूटकर
पडज्याव...
मजा को के बेरो भायलों कि कुणसी बात
पर आज्याव...।।
मौका पर कही गई बात का,
माँ को बालक की लात का,
मेंह मैं टपकती छात का, मजा के बताऊँ
थान...!
खाट पर सै पडण का,
सुत्या सुत्या डरण का,
तडकै पाणी भरण का, मजा के बताऊँ
थान...!
मजा मजा मैं गांजों पीणिया एक सेर
का लाड्डू खाज्याव...
मजा को के बेरो भायलों कि कुणसी बात
पर आज्याव...।।
ठंड मैं अकडण का,
भाग कर गाडी पकडण का,
कुण्डी मैं आंगळ रगडण का, मजा तो लेकर
देखों...!
झाडी सै बोरिया तोडण का,
चौकान मैं खीचडी रोडण का,
बढेडा कनखा न काटण का, मजा तो लेकर
देखों...!
घोडी पर बैठ्यों बींद ज्यै घोडी चिमकण
सै पडज्याव...
मजा को के बेरो भायलों कि कुणसी बात
पर आज्याव......!!!!!!"

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