शनिवार, 27 दिसंबर 2014

जोधपुर वालां रो

जब आँख खुले तो धरती
जोधपुर की हो !

जब आँख बंद हो तो यादे
जोधपुर  की हो !

मै मर भी जाऊ तो गम नहीं
लेकिन मरते वक्त
मिटटी जोधपुर की हो !!

जोधपुर वाला रो दिल----
नरम आइसक्रीम जेसो !!!

जोधपुर वाला री जुबान----
मीठी जलेबी जेसी !

जोधपुर वाला रो गुस्सो----
गरम फूलको जैसो !

जोधपुर वाला रो साथ----
चटपटा आचार जैसो !

जोधपुर वाला रो होसलो----
कड़क खाखरा जैसो !

जोधपुर वाला रो स्वभाव----
मिलनसार दाल-धोकली जैसो !

( केने को मतलब यो के
जोधपुर वाला के साथ रहो
तो भूखा कोणी मरो )
पधारो म्हारे मारवाड की
धरती जोधपुर शहर !

मंगलवार, 9 दिसंबर 2014

धापुडी द्वारा अपने मोट्यार को लिखा गया कागद

||धापुडी द्वारा अपने मोट्यार को लिखा गया कागद||
म्हार हिवडा का हार,
म्हारा सोलहा सिंगार,
म्हारी पप्पूडी का पापा...
थारी चौडी-चौडी राफा....!
हे प़ाणनाथ जी,
गोपिया का नाथ जी,
म्हार रूप का दास जी,
त्रिलोकी का नाथ जी...
थाको कोजो घणों साथ जी.....!
हे म्हारी जलती ज्योत,
करवा चौथ,
धान का बोरा,
उन्डोडा औरा...
थाक एक दर्जन छोरी और छोरा.....!
भोमिया का स्वामी,
म्हारी जामी सा थाकी,
सत्यानाशी,
कुल विनाशी,
कालिया की मासी,
चरणा की दासी,
थार प़ाणा की प्यासी,
थाकी पाताल फोड लाडली,
धापुडी का पगा लागणा मानज्यों...
और हो सक तो आखा-तीज पर घरा पधारज्यों.....।।
आगे समाचार एक बाचज्यों कि--सुसरो जी न हिडकायों कुत्तों खायगों...
और चौथियों चौथी मैं चौथी बार फेल आयगों.....!
सुसरो जी तो हिडक्या और मरग्या...
पण मरता मरता सासू जी न हिडक्या करग्या.....!
सासू जी मरा मौत, कु-मौत, कुत्त की मौत और सासू जी न मरता देख म्हारो भी मरणा स मन फाटग्यों है...
जीतियों नाई काल स्वर्ग सिधारगों और बीको तियो पंडत गरूड्यों करायग्यों है......।।
गीतूडी क करमडा मैं है ना जुआ पडगी है...
और सीतूडी क काना की एक बाली गमगी है.....!
थाकी काणती काकी काल छाछ खातर घरा आर लडगी...
और म्हारी बडकी सेठानी घीनाणी सु पानी ल्याती पडगी.....!
भुवाजी रोजीना ही गुद का लाडू खाव...
और नानूडा की लुगाई मैं मंगलवार की मंगलवार पीतर जी आव.....।।
पपीयों,गीगो,लाल्यों और राजिया की लुगाई चलती री, पण थे तो जाणो ही हो राम क आग किको बस चाल है...
और होणी न कुण टाल है.....!
हे म्हारा बारहा टाबरा का बाप...
थान लाग शीतला माता को श्राप.....!
थे आदमी हो या हरजाई...
थे मनै अठै ऐकली छोडगा थान शरम कोनी आई.....!
थे आ पूरी पलटन म्हारै वास्तै छोडगा...
एक इंजन मैं बारह डब्बा जोडगा.....।।
इ बार सर्दी अणहोती पड,ई वास्तै टाबर घणा रोव है...
दो चार दिना सु भूखा ही सोव है.....!
थाक माय न अब भी थोडी घणी शरम बाकी होव तो पाछा कदै ही मत आइज्यों...
पर पाँच हजार रूपिया हाथु हाथ भिजायज्यों.....।।
मै तो रोजीना की काय सै तंग आकर सूख कर सागरी होगी...
हाथ का पाटला आगल्या मैं ही कोनी आव और भूख लाग नही.....!
काल दिन थोडी भूख लागी जणा सवा-सेर आटा को सीरो कर खायो जणा थोडी आँख लागी...
जिको तीजे दिन दोपहारा 3-बजे जागी.....!
और जागी काई पडोसन ओळमों देबा न जगा दी...
कहयों थारो "गोविन्दो" म्हारी मटकी फोड दी.....!
हे प़ाण नाथ अब थे ही बताओ मैं कठै जाऊँ सारा दिन उन्दा-उन्दा वहम आव...
कमरा सू दरवाजा तक आऊँ डाकिये न देख दरवाजो बंद करदयूँ, काई ठा थाक आवण का समाचार नही आज्याव.....।।।
थाक प्राणा की प्यासी...धापूडी।
😜😜😜😜😜😜😜😜😜😜

बुधवार, 3 दिसंबर 2014

Jodhpuri chutakala

एक बार ट्रेन में Jaipur
वाले, jodpur वाले, bikaner
वाले और ajmer
वालो में चर्चा होने लगी..................................
सबसे ज्यादा रईस कौन है?
सभी का यही जवाब था"....
साबित करके बताओ कि
सबसे ज्यादा
रईस कौन है?
Jaipur वाले ने खूब सोचकर
जेब से 50 का नोट निकाला
और उसकी सिगरेट बना कर
माचिस जलाई और पीने लगा...
Ajmer वाले ने आव देखा न
ताव झट से जेब से
500 का नोट निकाला और
उसकी सिगरेट बना कर
माचिस जलाई और पीने लगा...
Bikaner वाले को इसमें अपनी तौहीन नज़र आई.....उसने जेब
से 1000 का नोट निकाला
सिगरेट बनाई और जला कर
उसे पीने लगा बोला "भीया
अपन से बड़ा रईस कौन हो
सकता है इण्डिया में"
सब अब....
Jodhpur वाले की तरफ देखने
लगे..
Jodhpur  वाले ने ब्रीफकेस खोला चेकबुक निकाली और
एक चेक भरा 5 लाख रुपये,
उस चेक की सिगरेट बनाई
और माचिस जला कर
उसे पीने लगा बोला
"भाई सबसे बड़ा रईस वो
जो बिना नुक्सान किये मज़े ले!!"
शिक्षा -: सब कुछ करने का
लेकिन jodhpur वालों से पंगा
नहीं लेने का....

Jodhpur is fabulous

जोधपुर EXCLUSIVE... Part - 1
1-दो ब्रेड के बीच में मिर्ची बड़ा दबा के खाना यहाँ का खास ब्रेकफास्ट माना जाता है.
2-मिठाई की दूकान पर खड़े-खड़े आधा किलो गुलाब जामुन खाते हुए जोधपुर में सहज ही किसी को देखा जा सकता है.
...
3-गर्मी से बचाव के लिए चूने में नील मिला कर घर को पोतने का रिवाज़ सिर्फ और सिर्फ जोधपुर में ही है.
4-बैंत मार गणगौर जैसा त्योंहार सिर्फ जोधपुर में मनाया जाता है,जिसमे पूरी रात सड़कों पर महिलाओं का राज़ चलता है.
5-दाल-बाटी-चूरमा के लिए जोधपुर में कहा जाता है....दाल हँसती हुई,चूरमा रोता हुआ ओर्बती खिल-खिल होनी चाहिए.मतलब-दाल चटपटी-मसालेदार,चूरमा ढेर सारे घी वाला और बाटी सिक के तिडकी हुई होनी चाहिए.
6-पानी की सप्लाई शुरू होते ही घर का आँगन धोने का रिवाज़ जोधपुर में ही है.
7-हरेक गली के नुक्कड़ पर पात्र की खुली कुण्डी जोधपुर में लगभग हर जगह मिल जायेगी,जहाँ घर का बचा-खुचा भोजन गायों को डाला जाता है.
8-किसी भी काम को सीधे मना करने की आदत किसी भी "जोधपुरी" की नहीं होती.बहाने बना के टाल देंगे,मगर सीधे मना नहीं करेंगे.इस शैली के लिए यहाँ एक खास शब्द है..."गोली देना"...
9-यहाँ फास्ट फ़ूड के नाम पर पिज्जा-बर्गर से ज्यादा मिर्ची बड़ा और प्याज की कचौरी ज्यादा पसंद की जाता है.यहाँ कहा जाता है कि जोधपुर में अखबारों से भी ज्यादा मिर्ची बड़े के बिक्री होती है.
10-सड़क पर लगे जाम में फँसने के बजाय जोधपुरी लोग पतली गालियों से निकल जाना पसंद करते हैं.
11-"घंटाघर"...जोधपुर में एक ऐसी जगह है जहाँ ,जन्म लेने वाले बच्चे के सामान से ले कर अंतिम संस्कार तक का सामान मिल जाता है.
12-जोधपुर के ऑटो रिक्शा अपनी विशेष साज-सज्जा के लिए दुनिया भर में मशहूर है.
13-"के.पी."...यानि खांचा पोलिटिक्स की ट्रिक खास जोधपुरी अंदाज़ है,जिसमे भीड़ से किसी भी आदमी को सबके सामने चुप चाप अलग कोने में ले जा कर सिर्फ इतना पुछा जाता है..कैसे हो आप?
इससे उस आदमी का महत्व उस भीड़ में बढ़ा दिया जाता है..
14-जोधपुरीयंस का खास जुमला है-"कांई सा" और "किकर"..इसका अर्थ है-कैसे हैं आप और इन दिनों क्या चल रहा है.
15 -"चैपी राखो"..इस शब्द कजोध्पुर में मतलब है-जो काम कर रहे हो,उसमे जुटे रहो.
16 - मिर्ची बड़ा,मावे की कचौरी और मेहरानगढ़ पर हर जोधपुर वासी को गर्व है.
17-जोधपुर में मिठाइयों की क्वालिटी उसमे डाली जाने वाली चीजों से नहीं आंकी जाती बल्कि इस से आंकी जाती है कि उनमे देसी घी कितना डाला गया है.
18-यहाँ की परंपरा में गालियों को घी की नालियाँ कहा जाता है.तभी तो यहाँ का बशीन्दा गाली देने पर भी नाराज़ नहीं होता,क्यों कि गाली भी इतने मीठे तरीके से दी जाती है,उसका असर ना के बराबर हो जाता है.
19-जोधपुर में रोजाना ६ हज़ार किलो बेसन सिर्फ मिर्ची बड़े बनाने में खर्च होता है.
20-"संध्या काल में शुभ - शुभ बोलना चाहिए " इसीलिए यहाँ शाम होते ही लोग बड़े से बड़ा पान मुहँ में दबा लेतें है , जिससे केवल ॐ की ध्वनि ही उच्चारित हो सके...are you jodhpurian ... proud of these quality.......GGK.......